शास्त्री जी के बारे में
पंडित प्रकाशवीर शास्त्री का जन्म 30-Dec-1923 को उत्तर प्रदेश के रहरा ग्राम में हुआ और गुरुकुल ज्वालापुर में छह वर्ष की आयु में उनकी दीक्षा आरम्भ हुई I
शास्त्री जी वैदिक और राष्ट्रीय विचारों के पोषक थे और देश की एकता के लिए उन्होंने 16 वर्ष की किशोर आयु से 1939 में हैदराबाद सत्याग्रह में एवम आज़ादी के लिए कई आन्दोलनों में भाग लिया I
स्वाधीनता संग्राम के बाद सामजिक कार्य करते हुए हुए वह देश सेवा से जुड़े रहे , 1958 में वह सक्रिय राजनीति में आये और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के निधन से रिक्त हुई सीट गुडगाँव से निर्दलीय संसद में प्रवेश किया I

आज़ादी के पशचात शास्त्री जी देश की सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा में जुट गए और हिंदी रक्षा के कई आन्दोलनों को प्रेरित किया I शास्त्री जी , सांस्कृतिक संगरक्षण में स्थानीय भाषाओँ और हिंदी की अहमियत समझते थे , उन्होंने हिंदी और भारतीय भाषाओँ के उत्थान के लिए भरसक कार्य किया I
शास्त्री जी हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी उचित स्थान दिलाने के अथक प्रयास किये I शास्त्री जी ने जर्मनी में आयोजित अंतर संसदीय संघ (Inter Parliamentary Union) सम्मलेन में 1974 में प्रथम बार अपना भाषण हिंदी में दिया था I
शास्त्री जी भारतीय संस्कृति के रक्षक थे , उन्होंने देवनागरी को सभी भारतीय भाषा की लिपि बनाने का बिल पेश किया , और साथ ही साथ ये भी कहा के एक भारतीय भाषा जिसमे सभी भारतीय भाषाओँ का सामंजस्य हो ऐसे भाषा भी विकसित की जा सकती है I
यह अत्यंत ही उल्लेखनीय है की स्वाधीनता के बाद रियसतों के एकीकरण के महानायक सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देने और आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए प्रकाशवीर शास्त्री जी ने ही दिल्ली में सरदार पटेल का विराट जयंती समारोह मनाने की परम्परा शुरू की| जो 1960 से लेकर उनके निधन 1977 तक बड़े भव्य रूप से मनाई गयी I
शास्त्री जी भारतीय संस्कृति और वेदों की महिमा को पूरे विश्व को देना चाहते थे I उन्होंने वेदों के अंग्रेजी अनुवाद के लिए वेद प्रतिष्ठान की स्थापना करवाई , और वेदों का अंग्रेजी भाष्य प्रकाशित करवाया I


हमारे देश के नेताओं को वैदिक संस्कृति के मूल्यों से प्रेरित करने के लिए पंडित प्रकाशवीर शास्त्री जी की कोशिश से संसद में महर्षि दयानन्द सरस्वती का चित्र लगवाया गया , जो हर युग के नेताओं को प्रेरित करता आया है और आगे भी प्रेरणास्रोत बना रहेगा I
1952 में पंडित प्रकाशवीर शास्त्री ने एक पुस्तक लिखी “मेरे सपनों का भारत” , उसमे उन्होंने राजा के दायित्व का वर्णन करते हुए सरकारी तंत्र के शासकों के लिए मार्गदर्शन किया है , शास्त्री जी ने अपने पहले प्रेम भारत के बारे में अपना दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया है I
आज़ादी के बाद कश्मीर पर असामंजस्य और आम जनता के साथ होते अन्याय को देख उन्होंने संसद में कश्मीर मुद्दे पर भरपूर आवाज़ उठाई , संसद के बाहर भी अपनी भावनाओं को एक पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया “धधकता कश्मीर” एवम “कश्मीर की वेदी पर “ में उन्होंने कश्मीर के पौराणिक इतिहास और स्वाधीनता के बाद की स्थिति, श्यामा प्रसाद मुख़र्जी के आंदोलन का विस्तृत वर्णन किया है I
शास्त्री जी ने कृषि क्षेत्र की समस्यों को भी संसद में उठाया,चाहे वह गन्ना किसान को उचित मूल्य और बकाया का निपटारा या फिर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाँध प्रस्तावित करवा , नागरिकों और किसानों की समस्या को हल करवाना हो I
शास्त्री जी ने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया ,उत्तर प्रदेश और दिल्ली में कई विद्यालयों और महाविद्यालयों की स्थापना करवाई I वह स्वयं भी गुरुकुल वृन्दावन और गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर के उप कुलपति रहे I
शास्त्री जी ने अपने करीब २० साल के संसदीय जीवन(तीन बार लोकसभा एवम एक बार राज्यसभा) में , संसद में महत्वपूर्ण योगदान दिया I शास्त्री जी देश के सामने आ रही उस समय की ज्वलंत समस्या को संसद में गहरे अनुसंधान और आंकड़ों के साथ बड़ी गंभीरता से उठाते थे और समाधान भी साथ पेश करते हुए सकारात्मक राजनीति का परिचय प्रस्तुत करते थे I जब भी शास्त्री जी बोलते थे सभी दलों के लोग उनको बड़े ही आदर के साथ सुनते थे I संसद में आने के बाद वह बहुत ही प्रसिद्ध हो गए थे I शास्त्री जी के भाषण शुद्ध हिंदी में ,धारा प्रवाह, मृदु भाषी बोली के लिए जाने जाते थे I
शास्त्री जी के अनेक राष्ट्रीय मुद्दों जैसे शिक्षा का स्तर, राष्ट्रीय एकता, कश्मीर, संस्कृति संगरक्षण पर दिए गए संसदीय भाषण आज भी नेताओं को प्रेरित करते है I
पंडित प्रकाशवीर जी की जिव्हा को माँ सरस्वती का वरदान कहा जाता था , उन्होंने अपनी वाणी और वकृत्तता कला के इस वरदान को हमेशा राष्ट्र ,समाज और धर्म की उन्नति के लिए समर्पित किया I
महत्वपूर्ण योगदान
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राष्ट्रभाषा हिंदी संगरक्षण के लिए 1957 में पंजाब में हिंदी सत्याग्रह का सफल संचालन किया
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पंडित प्रकाशवीर शास्त्री के प्रयत्नों से नई दिल्ली में सरदार पटेल जयंती समारोह का विराट आयोजन प्रारम्भ हुआ I
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पंडित प्रकाशवीर शास्त्री एक कुशल संगठनकर्ता थे जिनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में मेरठ , कानपुर तथा वाराणसी में आर्य समाज के भव्य शताब्दी समारोह मनाये गए I
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पंडित प्रकाशवीर शास्त्री के प्रयत्न से वेदों का अंग्रेजी भाष्य प्रकाशित कराने का प्रबंध किया गया I
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शास्त्री जी ने देश हित में संसद में कई महत्वपूर्ण बिल प्रस्तुत किये जैसे की धारा 370 समाप्त करने का प्रथम विधेयक , हिन्दू मंदिरों जैसे काशी , मथुरा , और अयोध्या वापस हिन्दुओं को सौंपने का विधेयक , गरीबों के जबरन धर्म परिवर्तन रोकने का विधेयक I
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शास्त्री जी ने संसद में कई बार यह मांग की थी के हिंदी को UN में आधिकारिक भाषा का स्थान मिलना चाहिए I शास्त्री जी के प्रयासों से संसद में राष्ट्रभाषा का प्रयोग बढ़ा I
पुरस्कार / मान्यता प्राप्त
राष्ट्रीय
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हिंदी संगरक्षण के लिए , 1976 में राष्ट्रपति द्वारा राजऋषि पुरषोतम दास टंडन पुरस्कार से सम्मानित किया गया I
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2001- पंडित प्रकाशवीर शास्त्री के जीवन पर पुस्तक “प्रकाशवीर शास्त्री एक समर्पित व्यक्तित्व “ का तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा विमोचन I
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2001 - तत्कालीन उप प्रधान मंत्री श्री लाल कृष्ण अडवाणी जी ने प्रकाशवीर शास्त्री जी के संसदीय भाषणों की पुस्तक “राष्ट्रीयता के मुखर स्वर” एवम “भारतीयता के प्रबुद्ध प्रहरी” का विमोचन किया I

कार्य का प्रभाव
क्षेत्र
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यह पंडित प्रकाशवीर शास्त्री जी के ही प्रयास थे देश के कई उच्च न्यायालयों, जैसे उत्तर प्रदेश , राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली आदि , ने अपने निर्णय हिंदी में देने प्रारम्भ किया I
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1958 में संसद में पहुँच आकाशवाणी में हो रही हिंदी की उपेक्षा को बंद कराया और हिंदी समाचारों को अंग्रेजी समाचार से पहले प्रसारित कराने में सफलता प्राप्त की और समय भी सामान किया गया I
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1973 ( मेरठ), कानपुर( 1974) तथा वाराणसी( 1976) में आर्य समाज शताब्दी समारोह का सफल आयोजन , इनमे भारत के राष्ट्रपति भी उपस्थित रहे I
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शास्त्री जी के संघर्ष पर 1961 में पंजाब में मत पत्र दोबारा छपवाए गए जिसमे प्रत्यशियों के नाम अंग्रेजी और गुरुमुखी के अलावा मातृभाषा हिंदी में भी छपवाए गए I
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संसद में बहस के स्तर को ऊँचा उठाया I
समाज
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स्वामी दयानन्द का चित्र संसद में लगवाया जो आज के नेताओं को प्रेरणा देता है I
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स्वामी दयानन्द के हस्तलेखों और पांडुलिपियों को सुरक्षित करवाया और उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी करवाया I
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मथुरा में गुरु विरजानन्द अनुसन्धान भवन की स्थापना एवम निर्माण , जिसका उद्घाटन उप राष्ट्रपति श्री बी डी जट्टी जी ने किया I
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हरिद्वार में गंगा तट पर आर्य समाज मंदिर का निर्माण करवाया I
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मुरादाबाद जिले में हर साल बाढ़ से प्रभावित होते लोगों एवम किसानों की फसल की रक्षा के लिए बाँध का निर्माण की प्रस्तावना पारित करवाना I
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बिजनौर में डिग्री कॉलेज की स्थापना करवाई I
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दिल्ली में भारतीय संस्कृति और आधुनिक शिक्षा के समागम के उद्देश्य से ज्ञान भारती विद्यालय की स्थापना I

जीवन यात्रा के यशस्वी चरण
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१९२३ : ३० दिसंबर, को जन्म, ग्राम रेहड़ा।
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१९३३ : वैशाखी पर्व पर गुरकुल ज्वालापुर में प्रवेश, दिक्षारम्भ।
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१९३९ : छात्रावास में हैदराबाद में सत्याग्रह, कारावास।
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१९४६ : १६ नवम्बर को सिंध में सत्याग्रह।
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१९५२ : 'मेरे सपनों का भारत ' पुस्तक प्रकाशित।
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१९५४ : 'राष्ट्र हत्या या गौ हत्या
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१९५७ : पंजाब हिन्दी सत्याग्रह में प्रचार प्रभारी।
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१९५८ : गुड़गांव से संसद निर्वाचित : राजनीति में प्रवेश।
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१९६० : लोकसभा में धार्मिक स्थानों - मथुरा, काशी , आयोध्या, के पुनः संस्थापन का विधेयक प्रस्तुत।
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१९६१ : १७ मार्च को देवनागरी को सभी भारतीय भाषाओं की लिपि बनाने का विधेयक। ७ सितम्बर को दक्षिण भारत में हिंदी विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव।
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१९६२ : हापुड़ क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित।
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१९६४ : २४ अप्रैल को धारा ३७० समाप्त करने का विधेयक प्रस्तुत।
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१९६६ : २४ जून गोरक्षा आंदोलन समिति के सदस्य।
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१९६६ : १८ नवम्बर को सम्पूर्ण गोवंश के वध पर प्रतिबन्द प्रस्तुत।
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१९६७ : १ दिसम्बर को बलात धर्म परिवर्तन के निषेध का विधेयक प्रस्तुत।
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१९६७ : बिजनौर से लोकसभा के लिए सदस्य निर्वाचित।
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१९६९ : भारतीय क्रांतिदल के महामंत्री बने।
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१९६३ : वेदों के अंग्रेजी अनुवाद के लिए वेद प्रतिष्ठान की स्थापना की।
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१९७४ : जनसंघ के टिकट पर राज्य सभा के सदस्य निर्वाचित।
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१९७४ : मथुरा में विरजानन्द अनुसंधान भवन का उद्घाटन, उपराष्ट्रपति श्री जत्ती द्वारा।
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१९७५ : प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी को टंकारा के लिए।
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१९७५-७६ : मेरठ, कानपुर, वाराणसी, नैनीताल में आर्यसमाज स्थापना शताब्दी समारोहों का आयोजन।
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१९७७ : २३ नवम्बर को रेल दुर्घटना में निधन।
विशिष्ट कार्य
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उत्तर प्रदेश प्रतिनिधि सभा के तिमंजिले भवन का निर्माण।
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हिन्दी साहित्य सम्मलेन में हिन्दी की सेवा के लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित।
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गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर के दीक्षांत समारोह में, प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू के साथ, आचार्य नरदेव शास्री वेदतीर्थ तथा श्री प्रकाशवीर शास्री
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श्रिमती ललिता शास्री के साथ, श्री प्रकाशवीर शास्री मेरठ आर्य समाज शताब्दी समारोह
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उपराष्ट्रपति श्री गोपालस्वरूप पाठक के साथ प्रसन्न मुद्रा में श्री प्रकाशवीर शास्री